जो मनुष्य नेता या प्रचारक बन जाता है या उपदेष्टा बन जाता है, उसका चित सुद्ध होना कठिन है | संत सौरभ ५ ३
3.
गुरु, ग्रन्थ, और सत-चर्चा साधक में विद्यमान विवेक शक्ति को विकसित कर सकते है | कोई नयी शक्ति प्रदान नहीं कर सकते | संत सौरभ ९ २
4.
सास्त्रो में नेता या गुरु बनने को पतन का हेतु माना है | इससे सिद्ध होता है की यह काम महापुरुषों के ही उपयुक्त है | साधको को इस बखेड़े में कभी नहीं पड़ना चाहिए | संत सौरभ ५ १